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आत्मा का ताप

सैयद हैदर रजा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :212
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13690
आईएसबीएन :812670845x

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आत्मा का ताप एक श्रेष्ठ कलाकार और पारदर्शी व्यक्ति की जिंदगी और कला पर हिंदी में अपने ढंग की पहली और अनूठी पुस्तक है।

सैयद हैदर रजा को आधुनिक भारतीय चित्रकला का एक मूर्धन्य माना जाता है। आधी सदी से अधिक से पेरिस में रह रहे रजा का जन्म मध्य प्रदेश के एक जंगली इलाके में साधारण परिवार में हुआ था और वे कठिन संघर्ष और साधना से एक उज्जवल-उदात्त और विश्व स्तर के मुकाम पर पहुँचे हैं। यह गाथा है साधारण की महिमा की, मटमैलेपन से उज्जवल तक पहुँचने की। उन्होंने अपने मित्र और हिंदी कवि-आलोचक अशोक वाजपेयी से पेरिस में जो आपबीती कही वह इस पुस्तक का केन्द्रीय हिस्सा है। साथ ही, अशोक वाजपेयी ने लगभग तीन दशकों में इस अदितीय कलाकार की कला और जिंदगी पर जो कुछ लिखा है वह भी यहाँ एकत्र है जैसे कि उनकी वह लम्बी कविता ‘रजा का समय’ भी जो रजा की अस्सीवीं वर्षगाँठ के लिए लिखी गई थी। रजा से उनकी कला के बारे में लम्बी बातचीत भी संग्रहीत है। आत्मा का ताप एक श्रेष्ठ कलाकार और पारदर्शी व्यक्ति की जिंदगी और कला पर हिंदी में अपने ढंग की पहली और अनूठी पुस्तक है।

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